Kartavyam

Dr. Gaurav Mathur

Poetry

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Dr. Gaurav Mathur

Dr. Gaurav Mathur, MD, is a poet, philosopher and cardiologist who loves to explore the core of every issue, the heart of the matter. He lives in Florida with his wife who is a psychiatrist and two lovely children.

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आज एक आकाश नीचे उतर आया

Dr. Omendra Ratnu

आज एक आकाश नीचे उतर आया
करने आच्छादित मुझे, मेरे उपरान्त भी,
अस्तित्व हुआ तरल झीनी चादर सा,
चित्त हुआ सरल, जो था कातर सा,
तन मन हुए भारहीन ,
निज पर की सीमा मिटी,
संकल्प विकल्प सारहीन ,
चेतना की सब धाराएं अंतर को प्रवाहित सी,
कुण्डलिनी ज्यूँ स्वयं की धुरी पर समाहित सी,
प्रेम बना दृष्टि, संवाद भी !
प्रतीक्षा बनी स्वभाव...
आज एक आकाश नीचे उतर आया...

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जो बीत गई सो बात गई

Harivansh Rai Bachchan

जीवन में एक सितारा था
माना वह बेहद प्यारा था
वह डूब गया तो डूब गया
अम्बर के आनन को देखो
कितने इसके तारे टूटे
कितने इसके प्यारे छूटे
जो छूट गए फिर कहाँ मिले
पर बोलो टूटे तारों पर
कब अम्बर शोक मनाता है
जो बीत गई सो बात गई
जीवन में वह था एक कुसुम
थे उसपर नित्य निछावर तुम
वह सूख गया तो सूख गया
मधुवन की छाती को देखो
सूखी कितनी इसकी कलियाँ
मुर्झाई कितनी वल्लरियाँ
जो मुर्झाई फिर कहाँ खिली
पर बोलो सूखे फूलों पर
कब मधुवन शोर मचाता है
जो बीत गई सो बात गई
जीवन में मधु का प्याला था
तुमने तन मन दे डाला था
वह टूट गया तो टूट गया
मदिरालय का आँगन देखो
कितने प्याले हिल जाते हैं
गिर मिट्टी में मिल जाते हैं
जो गिरते हैं कब उठतें हैं
पर बोलो टूटे प्यालों पर
कब मदिरालय पछताता है
जो बीत गई सो बात गई
मृदु मिटटी के हैं बने हुए
मधु घट फूटा ही करते हैं
लघु जीवन लेकर आए हैं
प्याले टूटा ही करते हैं
फिर भी मदिरालय के अन्दर
मधु के घट हैं मधु प्याले हैं
जो मादकता के मारे हैं
वे मधु लूटा ही करते हैं
वह कच्चा पीने वाला है
जिसकी ममता घट प्यालों पर
जो सच्चे मधु से जला हुआ
कब रोता है चिल्लाता है
जो बीत गई सो बात गई

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