प्रेमचंद के फटे जूते
प्रेमचंद की अपनी पत्नी शिवरानी देवी के साथ एक तस्वीर सोशल मीडिया पर काफ़ी वायरल है जिसमें प्रेमचंद के बाएँ पाँव के जूते में एक छेद दिखाई पड़ता है। इस तस्वीर को आधार बनाकर हरिशंकर परसाई जी ने ‘प्रेमचंद के फटे जूते’ निबंध लिखा था जिसका कुछ अंश नीचे पढ़ें:
मेरी दृष्टि इस जूते पर अटक गई है। सोचता हूँ - फोटो खिंचवाने की अगर यह पोशाक है, तो पहनने की कैसी होगी? नहीं, इस आदमी की अलग-अलग पोशाकें नहीं होंगी - इसमें पोशाकें बदलने का गुण नहीं है। यह जैसा है, वैसा ही फोटो में खिंच जाता है। यह कैसा आदमी है, जो ख़ुद तो फटे जूते पहने फोटो खिचा रहा है, पर किसी पर हंस भी रहा है!
चलने से जूता घिसता है, फटता नहीं। तुम्हारा जूता कैसे फट गया? मुझे लगता है, तुम किसी सख़्त चीज़ को ठोकर मारते रहे हो। कोई चीज़ जो परत-पर-परत सदियों से जम गई है, उसे शायद तुमने ठोकर मार-मारकर अपना जूता फाड़ लिया। कोई टीला जो रास्ते पर खड़ा हो गया था, उस पर तुमने अपना जूता आजमाया।
तुम उसे बचाकर, उसके बगल से भी तो निकल सकते..
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